शब्दों की नुमाइश है सब
मुझे लगा तेरे दिल में थोड़ी गुंजाईश है अब
सबकी तरह तूने भी देखा सराहा
सबकी तरह तुझको भी इन शब्दों ने उकसाया
मुझे लगा आज तो जवाब मिलेगा
लेकिन सबकी तरह तूने भी बात घुमा, ध्यान कहीं और बटाया
तेरे लिए तो कुछ हुआ ही नहीं
तेरे लिए तुझसे अनजान कोई नहीं
ख़ैर ये तो हुआ है और होता रहेगा
मुझसे पूछ, मेरे शब्दों से बदनाम कोई नहीं
इसको कोई शिक़ायत मत समझना
ये तो एक उम्मीद है जिसका ख़त्म होने का नाम नहीं
मेरे शब्द मेरे हैं और तेरे रास्ते तेरे
ये ज़रूरी तो नहीं की मैं नुमाइश लगाऊँ और तू हर बार आये साथ देने