अजीब है इस बार की वापसी
ना जल्दी है ना इंतज़ार करती आँखें
अजीब है इस बार की वापसी
ना मंज़िल है ना जानी पहचानी राहें
बहुत कुछ बदला इन सर्दियों ने
नहीं बदलीं तो वोह झूझती आँखें
एक सांस छूटी तो एक मिली
देखते ही देखते जुड़ गईं हज़ारों यादें
जीने का मकसद बेमानी सा लगता है
हर शख्स अपने ही घर में अंजाना सा दिखता है
बात करने के बहाने तलाशने पड़ते हैं
सब कुछ भूल जाने के तरीके बनाने पड़ते हैं
पुरानी तस्वीरें तो आज भी बोलतीं हैं
तस्वीरों से आँख मिलाने में डर लगता है
पुरानी तस्वीरें तो आज भी बोलतीं हैं
तस्वीरों से आँख मिलाने में डर लगता है
सिर्फ़ समय ही तो बदला है
फिर क्यों अजीब है इस बार की वापसी