कभी कभी ये दुनिया जलाने का मन करता है
कभी कभी यहाँ से भाग जाने का मन करता है
कभी कभी इस संघर्ष का अंत करने का मन करता है
कभी कभी एक अपना सवेरा देखने का मन करता है
कभी कभी अपनों पे मरने का मन करता है
कभी कभी उपरवाले से लड़ने का मन करता है
कभी कभी भीड़ में चीखने का मन करता है
कभी कभी अकेले खुद से बात करने का मन करता है
बहुत कुछ है अधूरा जिसको पूरा करने का मन करता है
इस जीवन को फिर से जीने का मन करता है
कभी कभी उम्मीद की इस लौ को जलाये रखने का मन करता है
खिड़की से आती इन आँधियों को जकडने का मन करता है
कभी कभी एक ही बात को कई बार कहने का मन करता है
कभी कभी वही पुरानी कविता को नए नाम से लिखने का मन करता है
कभी कभी खुल के रोने का मन करता है